देश के 70 सालों के इतिहास में पहली बार असाधारण स्थिति तब निर्मित हुई जब न्यायपालिका ने अपनी बात रखने के लिए जनता का दरबार को चुनते हुए प्रेस कांफ्रेंस बुला ली, 4जजों के एक दल जिसमे CJI यानी चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलामेश्वर भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा व्यवस्थाओं पर अनियमितताओं का आरोप लगाया एवं लोकतंत्र पर भी खतरे की आशंका जाहिर की , हालाकि की वो खुद इस बात को माने की ये एक असाधारण घटना है मगर हमरे पास और कोई चारा नही है ऐसा नही है की उन्होंने सीधे प्रेस के सामने आने का फैसला लिया बल्कि इससे पहले वो इस समस्या के समाधान के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र से भी मिले लेकिन उन्होंने बात नही सुनी .
तो क्या अब चीफ जस्टिस पर चलेगा महाभियोग-
एक सवाल में जब जजों से ये पूछा गया की क्या चीफ जस्टिस पर महाभियोग चलाया जायेगा इस पर उन्होंने कहा की ये अब देश की जनता को तय करना है कि इस मामले में क्या करना है , प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होने ये भी कहा की देश में समझदारों की कमी नही है और हम ये सब इसलिए कर रहे हैं जिससे आज से 20 साल बाद कोई समझदार व्यक्ति ये न कहे की 'हमने अपनी आत्मा बेच दी थी.
अब आगे क्या ?
इस घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री की कानून मंत्री से मुलाकात की भी सूचना मिली है जिसमे कई फैसले लिए जा सकते है , चर्चाएं तो ये भी हैं की चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्र अटार्नी जनरल के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस कर के बातों का जबाव भी दे सकते है|
बात चाहे जो कुछ भी हो मगर सीनियर जजों का प्रेस के सामने आना लोकतंत्र ले लिए अच्छा संकेत नही है , और इस बातों से लोकतंत्र की साख पर बट्टे के रूप में देखा जा रहा है .
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