फोकस नर्मदा किनारे की सीटों पर-
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहती है. पिछले दिनों संघ के साथ हुई समन्वय बैठक में यह फीडबैक आया है की नर्मदा बेल्ट पर आने वाले जिलों में एंटीइनकम्बेंसी ज्यादा है. दरसल नर्मदा किनारे की विधानसभा सीटों पर बीजेपी का फोकस इसलिए भी ज्यादा है क्युकी सरकार अवैध रेत खनन रोकने में फेल रही है और माँ नर्मदा आस्था का एक बड़ा केंद्र है और नर्मदा पर हो रहे खनन से आम जन आहत हैं. नर्मदा किनारे के 16 जिलों में अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा, खरगौन, धार, बड़वानी और अलीराजपुर शामिल हैं. ऐसे में बीजेपी का प्राइम फोकस इन जिलों की विधानसभा सीटों को बचाने का होगा.
मूल कारण-
बीजेपी सरकार द्वारा नर्मदा नदी के किनारे किए गए पौधारोपण के आंकड़ों में बड़ा घोटाला सामने आया है. अवैध रेत उत्खनन और साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की परिक्रमा और आदिवासियों की नाराजगी शामिल है. ऐसे में बीजेपी नर्मदा बेल्ट की 66 विधानसभा सीटों को लेकर एक अलग टीम गठित करने वाली है जिसमें दर्जनभर प्रदेश पदाधिकारी, सांसद, जिला अध्यक्ष को जोड़कर एक बड़ी टीम का गठन होगा.
रेत उत्खनन और आदिवासी-
संघ के सर्वे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता नर्मदा किनारे बसे आदिवासियों के हित के लिए काम कर रहे नए संगठन और सरकार के प्रति आदिवासी समाज के बढ़ते आक्रोश और नाराजगी के कारण इन क्षेत्रों में बीजेपी कमजोर हो रही है. हलाकि इन इलाकों में बीजेपी आदिवासी सम्मलेन कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश तो कर रही है लेकिन उससे पूरी तरह से आदिवासियों को अपने पक्ष में करना संभव नहीं है.
दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा-
दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के कारण नर्मदा किनारे पुराने राजनैतिक सम्बन्ध भी मजबूत हुए हैं और नर्मदा किनारे अवैध रेत उत्खनन के मामलों पर दिग्विजय सिंह की पैनी नजर थी जिसका खामियाजा भी सरकार को भुगतना पद सकता है.आदिवासीयों से संवाद कर दिग्विजय सिंह उनकी समस्या योजनाओं के लाभ और अन्य विषयों पर आगामी समय पर सरकार को घेर सकते हैं.
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