आज बेसहारा बेजुबान जानवरों के दर्द को समझने की जरूरत

रीवा के रेहवा घाटी में बेजुबानो को मरने के लिए घाटी में गिराया

आज बेसहारा बेजुबान जानवरों के दर्द को समझने की जरूरत

आज बेसहारा बेजुबान जानवरों के दर्द को समझने की जरूरत है,गौवंश का संरक्षण,  गौशालाओं का निर्माण , गोवंश की रक्षा , जैसी तमाम तरह की योजनाएं शासन द्वारा शुरू की जाती है, लेकिन उसकी जमीनी हकीकत क्या है इन दिनों  मध्य प्रदेश के रीवा जिले में घटी एक घटना से लगाया जा सकता है जहा गढ़ थाना के रेहवा घाटी में फसे सैकड़ों गोवंशो से लगाया जा सकता हैं , जहां सैकड़ों बेजुबानो को मरने के लिए घाटी में गिरा दिया जाता है , आज के वर्तमान समय में जब इंसानों के साथ भयावह क्रूरता की जाती है , तो जरा सोचिए उन बेजुबानो के साथ क्रूरता की कितनी हदे पार कर दी गई होंगी , लेकिन कहते हैं जिनका कोई नहीं होता उनकी रक्षा भगवान करता है , और वह भगवान इसी धरती पर इंसान के रूप में कुछ सामाजिक कार्यकर्ता मदद के लिए आते हैं , और उन बेजुबान घाटी में  फसे मवेशियों को बाहर निकालने का काम करते हैं , तथा शासन को उनकी गौवंश योजनाओं की धज्जियां उड़ाते हुए अवगत कराते हैं और उनको आईना दिखाते है की गोवंशो को लेकर, उनके संरक्षण को लेकर जमीनी हकीकत क्या है ,इसका मूल्यांकन कराते  है, और प्रशासन की मदद से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेजुबानो को घाटी से बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू करते है, जिसमें पहले दिन 8 मवेशी ही बाहर निकले जिनका उपचार कराएं , उनके भोजन की व्यवस्था की और बेजुबानो के डूबती नैया का सहारा बने, आपको बता दें रीवा जिले के रेहवा घाटी में फंसे सैकड़ों मवेशियों को बचाने के लिए लगातार कई रेस्क्यू किया गया ,जिसमें अब तक 58 गोवंशो को घाटी से ऊपर निकाल दिया गया है, हालांकि उन सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि अभी भी एक सैकड़ा बेजुबान जानवर घाटी में फसे हुए हैं |

 

फिलहाल जितने मवेशी बाहर निकल गए हैं उनके लिए रहने खाने पीने की व्यवस्था कर दी गई है और घायल और बीमार तीन मवेशियों को पशु चिकित्सकों की मदद से इलाज किया गया है , साथ में पशु चिकित्सकों ने एक दर्जन मृत मवेशियों के कंकाल को देखकर पंचनामा तैयार किया है , वही 4 मवेशी भूख और प्यास से मर चुके थे, इतना सब होने के बाद अब सवाल यह उठता है की घाटी से बाहर निकलने के बाद उन सभी बेजुबानो को कहां रखा जाएगा, क्योंकि ना उनके खाने की व्यवस्था है और ना बांधने की ऐसे में अगर फिर उन्हें कुछ दिनों बाद छोड़ दिया गया तो पता नहीं उनके साथ क्या होगा, आपको बता दें मध्यप्रदेश में लगभग 4000 गौशालाए केवल कागजों में है, उसकी जमीनी हकीकत  हवा हवाई है वर्तमान समय में मध्य प्रदेश सरकार गायों को लेकर राजनीति कर रही है , जहा 4000 गौशालाओं का सपना दिखाया था उसे आज तक पूरा नहीं किया गया |

आपको जानकर यह हैरानी होगी गौशालाओं के नाम पर ग्राम पंचायतों में फंड आ रहे हैं, लेकिन पंचायतों में भ्रष्टाचार के चलते राशि का बंदरबांट हो जा रहा है, यहां गौ माताओं के लिए आने वाले चारा , भूसे की राशि को सरपंच और सचिव अपने निजी उपयोग में ले ले रहे हैं, और जिम्मेदार सिर्फ कमीशन का खेल खेल रहे हैं, जिसका खामियाजा यह बेचारे , बेसहारे, बेजुबान जानवर भुगत रहे हैं ,