बेअसर हुआ शराब मुक्ति अभियान

भोपाल| मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लायी गयी नई शराब नीति को लेकर प्रदेश में घमासान मचा हुआ है| शराब नीति को लेकर वित्त मंत्री अजीबो-गरीब तर्क दे रहे हैं| बतौर वित्त मंत्री नकली शराब पीने से लोग बीमार हो जाते हैं इसीलिए शराब सस्ती कर आम लोगों की पहुंच आसान बनाने की कोशिश की जा रही है| मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि प्रदेश में क्रमबद्ध तरीके से शराबबंदी की जाएगी| लेकिन सरकार के चरणबद्ध तरीके से नशा मुक्ति अभियान की पोल खुलती हुई नजर आ रही है|
नशा मुक्ति अभियान का बजट लगातार घट रहा
सरकार ने नशामुक्ति अभियान का ऐलान तो जोरशोर से किया लेकिन अभियान का बजट साल दर घट रहा है| 2018 में सरकार ने नशा मुक्ति अभियान के लिए 10 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान था लेकिन अब यह बजट घटकर अब 73 लाख हो गया है| पिछले 4 साल में नशा मुक्ति अभियान के तहत कितने लोगों को नशा से मुक्त कराया गया इसका आंकड़ा सामाजिक न्याय विभाग के पास नहीं है|
राजस्व लगातार बढ़ रहा है
शराब पर वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) के तौर पर राजस्व का संग्रह साल दर साल बढ़ा है| साल 2020-21 के दौरान शराब से 1183.58 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ| जबकि 2019-20 में यह 938.28 करोड़ और 2018-19 में 632.27 करोड़ रुपए था| सरकार ने दुकानों पर शराब की बिक्री पर 10 प्रतिशत वैट, रेस्तरां और बार में शराब पर 18 प्रतिशत वैट लगाया है| प्रदेश में देसी शराब की 2541 दुकानें, विदेशी की 1070, बार लाइसेंस (होटल,रेस्टोरेंट) 358 इकाइयाँ हैं|
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