नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती, MP के इस जिले में मौजूद है नेताजी के नाम पर बना पहला संग्रहालय

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती, MP के इस जिले में मौजूद है नेताजी के नाम पर बना पहला संग्रहालय

23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर जबलपुर सेंट्रल जेल में नेताजी के नाम पर बने MP के पहले संग्रहालय को आम जनता के लिए लोकार्पित किया जाएगा। अब हर शनिवार और रविवार को सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक आम लोग इस संग्रहालय का भ्रमण कर सकेंगे। इसके लिए अलग द्वार भी तैयार किया है। नेताजी के बैरक को संग्रहालय और परिसर को नेताजी के चित्रों से सजाया गया है। खास बात ये है कि ये सभी चित्र यहां के बंदियों ने बनाए हैं।

जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के मुताबिक ये संग्रहालय नेताजी सुभाषचंद्र बोस वार्ड में बना है। एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी है। म्यूजियम में नेताजी से जुड़ा जेल रजिस्टर, शयन पटि्टका, बेड़ियां, उस समय बंदियों के काम में उपयोगी चक्की, गणवेश देखने को मिलेगी। सेंट्रल जेल के बंदियों ने यहां नेताजी के कमाल के चित्र बनाए हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सेंट्रल जेल में नेताजी संग्रहालय खोलने की घोषणा की थी। शहरवासी देख पाएंगे कि किस तरह नेताजी जी ने जेल में जीवन व्यतीत किया था।
जबलपुर से नेताजी का खास नाता रहा है। जबलपुर में ही पहली बार नेताजी को 1939 में अखिल भारतीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। तब उन्होंने गांधी जी के प्रमुख सहयोगी और प्रत्याशी पट्‌टाभि सीतारमैया को हराया था। हालांकि, गांधी जी के विरोध के चलते उन्होंने पद त्याग दिया था। वहीं, स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में दो बार 1933 और 1934 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस को अंग्रेजों ने जबलपुर के सेंट्रल जेल में ही कैद करके रखा था। अब उनके उसी बैरक को संग्रहालय बनाया गया है।

इस म्यूजियम को बनाने में खुद कैदियों ने ही इंजीनियर और कारपेंटर की जिम्मेदारी निभाई। दीवारों की चित्रकारी से लेकर गार्डन तक बंदियों ने तैयार किए हैं। नेताजी यहां पहली बार 6 माह और दूसरी बार एक सप्ताह बंद रहे। 13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस किया गया था। अब संग्रहालय बनाया जा रहा है। इस संग्रहालय के माध्यम से लोगों को नेताजी के उन अनछुए पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी, जो नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा।