छत्तीसगढ़ में पांव जमाने की कोशिश में AAP,

आम आदमी पार्टी अब अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही

छत्तीसगढ़ में पांव जमाने की कोशिश में AAP,

देश की राजधानी दिल्ली में पैर जमाने क बाद अब छत्तीसगढ़ में अपनी उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश में आम आदमी पार्टी जुटी हुई है. भले ही चुनाव के लिए अभी लगभग ढाई साल का वक्त बाकी है, लेकिन पार्टी पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है. पार्टी प्रदेश सह प्रभारी सुरेश कठैत लगातार प्रदेश में संगठन को मजबूत करने की कवायद में जूटे हुए हैं. आम आदमी पार्टी द्वारा संगठन का विस्तार किया जा रहा है और लगातार कार्यकर्ताओं की बैठकें आयोजित की जा रही है. सुरेश कठैत ने बताया कि अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर और भानुप्रतापपुर में पहले फेज़ का कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया.
सुरेश कठैत का कहना है कि अब प्रदेश के सभी जिलों में सम्मेलन होंगे और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाएगा. साथ ही कार्यकर्ताओं को टारगेट भी दिया जा रहा है. कठैत ने बताया कि पार्टी ने एक रिसर्च टीम तैयार की है जो छत्तीसगढ़ के मुद्दों को जनता के बीच जाकर जानेगी. वहीं अस्पताल, स्कूल और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर प्रदर्शन की रणनीति भी तैयार की जा रही है.

क्या है छत्तीसगढ़ में शर्ड फ्रंट का इतिहास
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में थर्ड फ्रंट का इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है. पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल ने कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हुए और तीसरे मोर्चा को मजबूत करना चाहा. लेकिन प्रदेश में उन्हीं के नेतृत्व में खड़ी पार्टी को छोड़कर वे वापस कांग्रेस में आ गए. कुछ इसी तरह से बीजेपी से अलग होकर दुर्ग के नेता ताराचंद साहू ने स्वाभिमान मंच बनाया था लेकिन ये पार्टी भी वापस बीजेपी में विलय हो गयी. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी कांग्रेस छोड़कर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का गठन किया लेकिन जैसी उम्मीद साल 2018 के चुनाव में थी पार्टी ने वैसा प्रदर्शन नहीं किया. अब अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी बनायी पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की कोशिशें क्या रंग लाएगी ये तो आने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे.