बैलों का किया अंतिम संस्कार, भोज में 4 हजार से अधिक लोग हुए शामिल

शाजापुर,मध्यप्रदेश| शाजापुर के मदाना गाँव के किसान जगदीश सिसोदिया ने अपने बैलों के मौत होने के बाद धार्मिक रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार किया| मुंशी प्रेमचंद की दो बैलों हीरा- मोती की कहानी आपने पढ़ी होगी। कहानी में झूरी का दोनों बैलों से बहुत लगाव था| मदाना गाँव की यह घटना इस कहानी से काफी मिलती जुलती है। यहां के किसान जगदीश सिसोदिया के राम और श्याम नाम के दो बैल थे। इनकी मौत के बाद किसान ने क्रिया कर्म किया और उज्जैन में जाकर तर्पण किया तथा गांव में 4 हजार लोगों के लिए भोज का आयोजन कराया। श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया था। किसान जगदीश सिसोदिया ने कहा कि राम और श्याम नाम के उनके दो बैल बेटे की तरह थे। दोनों बैल 30 सालों से खेती में मदद कर रहे थे। राम की मौत तीन साल पहले हो गई थी और श्याम की मौत 15 दिन पहले हुई|
धार्मिक रीति-रिवाजों से हुआ अंतिम संस्कार
कार्यक्रम के दिन सुबह 8 बजे भगवान गरुड़ की कथा सुनी गयी। इसके बाद श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें लोगों ने मृत बैल को श्रद्धांजलि अर्पित की। फिर पगड़ी रस्म हुई उसके बाद लोगों ने खाना खाया।
कार्यक्रम में चार हजार से अधिक लोगों ने खाना खाया। कार्यक्रम में 8 क्विंटल आटा, 2 क्विंटल शक्कर, 1 क्विंटल बेसन, 400 लीटर छाछ, 20 पीपा तेल और 2 क्विंटल शक्कर का उपयोग हुआ।
किसान जगदीश सिसोदिया के परिवार में पांच बेटियां और एक बेटा है। बच्चे अभी छोटे हैं। उसके पास दस बीघा जमीन है। खेती में राम और श्याम ही मदद करते थे। मैंने 12 साल की उम्र से खेती संभाल लिया था। तभी से राम-श्याम भी मेरे साथ थे। दोनों बैल मेरे बेटे जैसे थे|
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